well i post my poems here.hope u guies appreciate.......
न पग कि गहराई नापी
रास्ता था आगे
कि बस बढ़ते चले गए।
- मिताली के दिल की बात
गज़ब कि लत लगाए बैठे हैं
हाथ में जाम है, कमाल कि शाम है
और हम बस उनसे मिलने कि रट लगाए बैठे हैं।
कि कभी शहंशाह थे वो लोग
जो आज सड़कों कि ख़ाक छानते हैं।
डर कर निकले थे घर से
कि क्या डगर कौन सा रास्ता होगा
रहमत कुछ ऐसी हुई उसकी
कि जो डगर पकड़ी
वहीं से रास्ता निकल।