Friday, July 13, 2018

नन्ही सी हो तुम फिर भी सबका मन मोह लेती हो
परी सी लगती हो जब खिलखिला कर हंसती हो
बित्ते भर की हो फिर भी बडी समझदार सी लगती हो
इतनी तकलीफ़ मेँ भी मुस्कुराती रहती हो
ए बीटिया ! कैसे इतना तुम सह लेती हो
कभी बडा प्यार आता है तुम पर
कभी बरस तुम पर मैं पडती हूं
माफ़ करना मेरी बीटिया मुझे
थक जाती हूं जब हिम्मत नहीं जुटा पाती हूँ
जाने क्यों तुम पर झन्ना जाती हूँ
सच कहूं तुमसे बहुत प्यार मैं करती हूं
मां कह कर बुलाती हो जब तुम
पगला मैं जाती हूँ
तुम्हारी शैतानियों पर दिल खोलकर हंसती हूँ
सच कहूं तुमसे बहुत प्यार मैं करती हूं 

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